December 23, 2024

Malabar Gold Success Story : धनिया-मिर्च बेचने वाले ने खड़ी कर दी 27000 करोड़ की कंपनी, घर तक बेचना पड़ा

Malabar Gold Success Story

Malabar Gold Success Story : एक कहावत हैं कहते हैं मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। सफलता की यह कहानी भी ऐसे ही एक जुझारू कारोबारी की है. कभी धनिया-मिर्च सब्जी मशाले बेचने वाला यह छोटा दुकानदार आज सोने-चांदी का बड़ा व्‍यापारी बन गया है. उनकी कंपनी का मार्केट कैप भी 27 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा पहुंच गया है. आज उनका धंधा सिर्फ अमीरों के लिए होता है और उनके देशभर में सैकड़ों शोरूम खुल चुके हैं.

मालाबार गोल्‍ड एंड डायमंड (Malabar Gold & Diamonds)

जानकारी के लिए आपको दे की, आज हम बात कर रहे हैं मालाबार गोल्‍ड एंड डायमंड (Malabar Gold & Diamonds) के फाउंडर एमपी अहमद की. एमपी अहमद वैसे तो बिजनेस फैमिली से आते है, लेकिन परिवार का बिजनेस मसालों से जुड़ा था. उन्‍होंने भी शुरुआती कुछ साल तक धनिया, मिर्च जैसे मसाले ही बेचे लेकिन यह काम जमा नहीं और छोड़कर कुछ नया करने की ठान ली. इसके साथ उन्‍होंने सोने के आभूषण (Malabar Gold Success Story) बेचने शुरू किए और आज उनकी कंपनी की वैल्‍यू 27,000 करोड़ रुपये पहुंच चुकी है. लेकिन, यह सफलता इतनी आसान नहीं रही जितनी आज उन्‍हें देखकर लगती है.

मालाबार के मालिक की सफलता की कहानी

जन्म: 1 नवंबर 1957, कोझिकोड, केरल
पिता: मम्माद कुट्टी हाजी
माता: फातिमा
पद: मालाबार ग्रुप ऑफ कम्पनीज के अध्यक्ष

छोटी उम्र में किया पहला बिज़नेस

मालाबार के मालिक एमपी अहमद का जन्म 1 नवंबर 1957 को केरल के कोझिकोड में हुआ था। अहमद के पिता मम्माद कुट्टी हाजी थे और माता का नाम फातिमा था। अहमद का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जो छोटा मोटा बिज़नेस करता रहता है। यही कारण था कि अहमद के मन में बचपन से ही बिज़नेस करने की ललक थी। एमपी अहमद की स्कूली शिक्षा कोझिकोड के सरकारी स्कूल से हुई, उसके बाद एमपी अहमद कालीकट विश्वविद्यालय से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया।

एमपी अहमद के परिवार में छोटे-मोटे कारोबार बहुत पहले से चल रहे थे. शुरुआत में तो अहमद को भी इसी बिजनेस से जुड़ना पड़ा. उन्‍होंने 20 साल की उम्र में परिवार से हटके बिजनेस करने का फैसला किया और 1978 में मसालों का बिजनेस शुरू कर दिया. अहमद ने शुरुआत में नारियल, धनिया और काली मिर्च का बिजनेस किया, लेकिन जल्‍द ही पता गया कि यह सफल नहीं है और दोबारा बाजार का रिसर्च करने में जुट गए.

घर बेचकर शुरू की पहली शॉप (Malabar Gold Success Story)

सारा रोडमैप तैयार हो चुका था और परिवार के लोगों ने भी हरी झंडी दे दी, लेकिन समस्‍या पैसों को लेकर थी. कहीं से जुगाड़ नहीं बना तो अहमद ने अपना घर बेचकर पैसे जुटाने का फैसला किया. आखिर उन्‍होंने प्रॉपर्टी बेचकर 50 लाख रुपये जुटाए और मालाबार गोल्‍ड एंड डायमंड की नींव डाली. साल 1993 में उन्‍होंने कोझिकोड में 400 वर्गफुट की दुकान में अपना पहला सफर शुरू किया.

क्‍वालिटी से बनाया नाम

मालाबार ब्रांड से ज्‍वैलरी बेचने वाले अहमद (Success Story Of MP Ahmad) ने साल 1999 से ही सिर्फ बीआईएस हॉलमार्क वाली ज्‍वैलरी ही बेचना शुरू कर दिया था. उनका मकसद अपने कस्‍टमर को हाई क्‍वालिटी प्रोडक्‍ट उपलब्‍ध कराना था. इसके बाद तो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2001 में भारत के बाहर खाड़ी देश में पहला स्‍टोर खोला और 10 साल बाद 2011 में रियाद में अपना 50 स्‍टोर भी खोल दिया. इस समय तक कंपनी का राजस्‍व 12 हजार करोड़ पार हो चुका था. आज कंपनी के 7 देशों में 103 स्‍टोर हैं और भारत व यूएई में फैक्‍टरी भी डाल रखी है.

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