खतरे में है आपका बैंक अकाउंट, फोन नंबर! लीक हुआ 7.5 करोड़ भारतीय यूज़र्स का डेटा
Data Leak In Cyber Security : साइबर सिक्योरिटी कंपनी ने दावा किया था कि 75 करोड़ भारतीय मोबाइल यूजर्स के डेटा (नाम, नंबर, पता आदि) का 1.8 टेराबाइट बड़ा डेटाबेस चोरों ने डार्क वेब पर बेचने के लिए डाल दिया है. सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों से उनके सिस्टम की सुरक्षा जांच करवाने को कहा है. एक सरकारी अधिकारी ने ये बात बताई. पिछले हफ्ते एक साइबर सिक्योरिटी कंपनी ने दावा किया था कि 75 करोड़ भारतीय मोबाइल यूजर्स के डेटा (नाम, नंबर, पता आदि) का 1.8 टेराबाइट बड़ा डेटाबेस चोरों ने डार्क वेब पर बेचने के लिए डाला है.
इंटरनल ऑडिट का आदेश (Data Leak In Cyber Security)
इस बात की खबर फैलने के बाद, टेलीकॉम विभाग ने टेलीकॉम कंपनियों से कहा है कि वो अपने सिस्टम की सुरक्षा का ऑडिट करें. पीटीआई ने साइबर सिक्योरिटी कंपनी क्लाउडसेक के आधार पर बताया कि डेटा चुराने वाले ने इसमें हाथ होने से इनकार किया है. उनका कहना है कि ये डेटा उन्होंने पुलिस जैसी सुरक्षा एजेंसियों के अंदर से किसी खास तरीके से चुराया है, जिसे वो बता नहीं सकते.
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सरकार ने Telecom company से उनके सिस्टम की सुरक्षा जांच करवाने को कहा है. एक सरकारी अधिकारी ने ये बात बताई. हालांकि, उसी अधिकारी ने कहा है कि टेलीकॉम कंपनियों का मानना है कि चुना हुआ डेटा उनकी अंदरूनी कमजोरी की वजह से नहीं हुआ, बल्कि पुराने डेटा से इकट्ठा किया गया है. फिर भी विभाग ने Telecom Company से सुरक्षा जांच करवाने को कहा है, ताकि भविष्य में दुबारा ऐसी घटना न हो
बड़े साइबर अटैक का खतरा
Cyber सुरक्षा कंपनी क्लाउडसेक ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि उसके शोधकर्ताओं ने पाया है कि CYBO CREW के सहयोगी Cybo Devil और UNIT8200 ने भारतीय मोबाइल नेटवर्क उपभोक्ता डेटाबेस को बेचने के लिए विज्ञापित किया है. साइबर सुरक्षा कंपनी ने आगाह किया है कि चोरों ने 75 करोड़ भारतीयों का मोबाइल डेटा चुराया है. इस बड़े डेटाबेस में लोगों के नाम, नंबर, पते और यहां तक कि आधार नंबर तक जैसी जरूरी जानकारियां मौजूद हैं. ये डेटा 1.8 टेराबाइट बड़ा है, जो बहुत ज़्यादा है और अगर ये गलत हाथों में पड़ गया तो लोगों को बहुत ज्यादा नुकसान होगा
इतने में बेचा जा रहा है डेटा (Data Leak In Cyber Security)
सरकार की cyber सुरक्षा एजेंसी CERT-In के साथ काम करने वाली कंपनी ने बताया कि उन्होंने 23 जनवरी को ये डेटा लीक का पता लगाया था. इसके बाद, ज़िम्मेदार तरीके से सूचना देने के लिए उन्होंने सरकार और प्रभावित कंपनियों को इस बारे में बताया. ये चुराया हुआ डेटा डार्क वेब पर बेच रहा है. इसकी साइज भी बहुत ज़्यादा है, कम्प्रेस करके 600GB और बिना कम्प्रेस किए 1.8 TB. इतना बड़ा डेटा चुराए जाने से लोगों की निजी जानकारी और कंपनियों को भी खतरा हो सकता है. चोर इस डेटाबेस के पूरे सेट के लिए सिर्फ 3,000 डॉलर मांग रहे हैं.
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